यूँ तो एक दिन ख़ाक होना है जिस्म ये मिट्टी का राख होना है छोड़ के ये जहां चले गए जो हम फिर लौट के कहाँ वापस आना है - एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
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यूँ तो एक दिन ख़ाक होना है
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टूटे बिखरे दिल को अपने
टूटे बिखरे दिल को अपने आज ख़ुद ही मरहम लगायी हूँ घायल से जज़्बातों को अपने आज ख़ुद ही दिलासे दिलायी हूँ अधूरी सी ख़्वाहिशों को अपने आज ख़ुद ही दफ़्न कर आयी हूँ आरज़ू प्यार की जो दिल को थी आज आस ही खत्म कर आयी हूँ मेरे रास्तों की मंज़िल न थी आज [...] More -
कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है
कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है कुछ दूर तेरे साथ चलने की ख़्वाहिश है दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें मुमकिन नहीं फिर भी तेरे साथ क्यों जीने की ख़्वाहिश है ये जहां तेरे काम का ना मेरे काम का तेरे बिना तो लगता है सब बेनाम सा कुछ पल तेरी साँसों में [...] More -
जानते हैं आप कि हम आपसे
जानते हैं आप कि हम आपसे बेशुमार प्यार करते हैं सूरज भी आप हैं और चाँद भी नींद भी आप हैं और ख़्वाब भी रंग भी आप हैं और रौशनी भी सफ़र भी आप हैं और मंज़िल भी ख़ता हुई हमसे जो आपका दिल दुखाया बेवजह दिल टूटा हुआ है हमारा भी और बिखरे हुए [...] More -
दिल में तेरे समा सकूँ
दिल में तेरे समा सकूँ वो एहसास बनना चाहती हूँ होठों को तेरे सजा सकूँ वो मुस्कान बनना चाहती हूँ गीत जो तू गुनगुना सके वो ग़ज़ल बनना चाहती हूँ आँखें तेरी पढ़ सकूँ वो हमदर्द बनना चाहती हूँ ख़ुशियाँ तेरे आँगन बरसे ये दुआ ख़ुदा से चाहती हूँ - एकता खान एकता खान जी [...] More -
दोनो बँधे हैं दुनियाँ की रीत में
दोनो बँधे हैं दुनियाँ की रीत में मजबूरियाँ इधर भी हैं, कुछ उधर भी दिल की बातें हैं आज उन्हें बतानी मिलने की चाहत इधर भी है, कुछ उधर भी न जाने कितनी सांसें हैं और बाक़ी धड़कने गिनती की इधर भी है, कुछ उधर भी -एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान [...] More -
ख़्वाहिश फिर बचपन जीने की
ख़्वाहिश फिर बचपन जीने की खुले आसमा में उड़ने की ख़्वाहिश फिर चाँद तारों को छूने की सारी दुनिया को बदलने की चलो फिर होसलों को बुलंद करते हैं अधूरी चाहतों को पूरी करते हैं चलो फिर बचपन मिल के जीते हैं अधूरे सपनों को रंग भरते हैं साथ तुम्हारे अयान ज़िंदगी की नयी शुरुआत [...] More -
रिश्ते जो नाम से बँधे होते हैं
रिश्ते जो नाम से बँधे होते हैं क्या सिर्फ़ वो ही गहरे होते हैं हमसे जब वो दिल बदल के देखेंगे मोहब्बत के बारिशों में भीग जाएँगे अनकही सी बातों को मेरे काश, आँखों से ही पढ़ लेते वो न उन्हें कभी पढ़ना आया और न हमें कभी कहना आया -एकता खान एकता खान जी [...] More -
दिलों से खेलने वाले
दिलों से खेलने वाले प्यार का मोल न लगाना हम जो चले गए एक बार तो वापस नहीं आएँगे प्यार का कुछ तो सिला दो एक क़दम तुम भी बढ़ा दो आ के भर लो बाहों में और दिल में बसा लो सासें भी कम हैं और वक़्त भी ज़िंदगी बार-बार मौक़ा नहीं देती -एकता [...] More