रिश्ते जो नाम से बँधे होते हैं क्या सिर्फ़ वो ही गहरे होते हैं हमसे जब वो दिल बदल के देखेंगे मोहब्बत के बारिशों में भीग जाएँगे अनकही सी बातों को मेरे काश, आँखों से ही पढ़ लेते वो न उन्हें कभी पढ़ना आया और न हमें कभी कहना आया –एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
रिश्ते जो नाम से बँधे होते हैं
रिश्ते जो नाम से बँधे होते हैं
क्या सिर्फ़ वो ही गहरे होते हैं
हमसे जब वो दिल बदल के देखेंगे
मोहब्बत के बारिशों में भीग जाएँगे
अनकही सी बातों को मेरे
काश, आँखों से ही पढ़ लेते वो
न उन्हें कभी पढ़ना आया
और न हमें कभी कहना आया
–एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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