Tag Archives: प्रभु लाल बामनिया

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  • खेल नफरत का हम चलने नहीं देंगे

    खेल नफरत का हम चलने नहीं देंगे

    खेल नफरत का हम चलने नहीं देंगे, बेवक्त तो यह मौसम बदलने नहीं देंगे। बड़ी मशक्कत के बाद बस्तियों में उजाले हैं, दोपहर के इस सूरज को हम ढलने नहीं देंगे। सब धर्मों के लोगों ने जिसे मिलकर गुनगुनाया है, खुशियों के उस गीत को, गम में बदलने नहीं देंगे। सब मिलकर मेरी आवाज में [...] More
  • याद पर हिंदी शायरी, पी एल बामनिया

    मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी

    मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी, मेरे घर ये हवा मैखानों से आने लगी। रात ढले अब तनहाईयाँ पसरने लगी, इक बार फिर याद तेरी सताने लगी। तेरा इक ख्याल हौले से छूकर गया मुझे, ठहरे इस दिल की धड़कन कंपकंपाने लगी। इन दीवारों ने भी आज जिक्र छेड़ दिया तेरा, कमरे में सजी [...] More
  • लोग मुझको दुनिया के बचकाने लगे

    लोग मुझको दुनिया के बचकाने लगे

    लोग मुझको दुनिया के बचकाने लगे, अंधेरों के लिए सूरज को धमकाने लगे। बंजर जमीं पर फसल उगाने की बात चली, चुनावी बादल अब शहर पर मंडराने लगे। हर मज़हब की अपनी अलग दुकान लगी, कोयल तो ठीक है, कौए भी अब गाने लगे। हर तरफ चमचागिरी, चापलूसी के बादल, खुद्दार मौसम तो आने से [...] More
  • घर को बड़ी ही राहत मिली ग़ज़ल

    घर को बड़ी ही राहत मिली

    घर को बड़ी ही राहत मिली, जब इन दीवारों को छत मिली। इक बहुत बड़ी मिल्कियत मिली, बच्चे को माँ के रूप मे जन्नत मिली। शैतान को तो कड़ी सज़ा मिली, पर मुंसिफ को बड़ी तोहमत मिली। हर चौराहे पर ट्रेफिक पुलिस मिली, हमें सुरक्षित चलने की नसीहत मिली। मजदूर को छोड़ सब को राहत [...] More
  • कद परछाइयों के हिंदी ग़ज़ल

    कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं

    कद परछाइयों के ही बड़े हुए हैं, नादां समझ रहे है कि हम बड़े हुए हैं। वो आसमान और इस धरती के इतर, खुद इक अलग जमीं पे खड़े हुए हैं। पूजे हम भी जाएंगे इस इंतजार में, खेत की मुंडेर पर कुछ पत्थर गढ़े हुए हैं। रंग मिलता है अपना भी कोयल से, सोच, [...] More
  • इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं

    इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं

    इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं, घमंड के बीज को झूठी शान से सींचा करते हैं। मुंह बना कर रखते, बड़ी मुश्किल से हंसा करते हैं, लगता है लोग आजकल ईगो का नशा करते हैं। गिद्ध और बाज तो ऊंचे ठिकानो पर बसा करते हैं, नादान परिंदे ही शिकारी के जाल में [...] More
  • हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा, झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा। समंदर से शांत नजर आ रहे हर इंसान के अंतर्मन की गहराई मे भी इक कोलाहल होगा। अगर पढना आ जाए हमको तो, गीता, कुरान, बाइबिल जैसे ग्रंथो मे हर मसले का हल होगा। मेरे मन की जिज्ञासा की [...] More
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