घर को बड़ी ही राहत मिली, जब इन दीवारों को छत मिली। इक बहुत बड़ी मिल्कियत मिली, बच्चे को माँ के रूप मे जन्नत मिली। शैतान को तो कड़ी सज़ा मिली, पर मुंसिफ को बड़ी तोहमत मिली। हर चौराहे पर ट्रेफिक पुलिस मिली, हमें सुरक्षित चलने की नसीहत मिली। मजदूर को छोड़ सब को राहत मिली, लाचार मजबूर यहाँ शराफत मिली। अमीरों पर बरसती दौलत मिली, रोटी को तरसती गुरबत मिली। हर चेहरे पर यहाँ नकली सूरत मिली , गुड से ज्यादा शक्कर खूबसूरत मिली। – पी एल बामनिया पी एल बामनिया जी की बेहतरीन ग़ज़ल पी एल बामनिया जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
घर को बड़ी ही राहत मिली
घर को बड़ी ही राहत मिली,
जब इन दीवारों को छत मिली।
इक बहुत बड़ी मिल्कियत मिली,
बच्चे को माँ के रूप मे जन्नत मिली।
शैतान को तो कड़ी सज़ा मिली,
पर मुंसिफ को बड़ी तोहमत मिली।
हर चौराहे पर ट्रेफिक पुलिस मिली,
हमें सुरक्षित चलने की नसीहत मिली।
मजदूर को छोड़ सब को राहत मिली,
लाचार मजबूर यहाँ शराफत मिली।
अमीरों पर बरसती दौलत मिली,
रोटी को तरसती गुरबत मिली।
हर चेहरे पर यहाँ नकली सूरत मिली ,
गुड से ज्यादा शक्कर खूबसूरत मिली।
– पी एल बामनिया
पी एल बामनिया जी की बेहतरीन ग़ज़ल
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