मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी, मेरे घर ये हवा मैखानों से आने लगी। रात ढले अब तनहाईयाँ पसरने लगी, इक बार फिर याद तेरी सताने लगी। तेरा इक ख्याल हौले से छूकर गया मुझे, ठहरे इस दिल की धड़कन कंपकंपाने लगी। इन दीवारों ने भी आज जिक्र छेड़ दिया तेरा, कमरे में सजी तेरी वो तस्वीर मुझको रूलाने लगी। – पी एल बामनिया बामनिया जी की याद पर हिंदी शायरी पी एल बामनिया जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी
मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी,
मेरे घर ये हवा मैखानों से आने लगी।
रात ढले अब तनहाईयाँ पसरने लगी,
इक बार फिर याद तेरी सताने लगी।
तेरा इक ख्याल हौले से छूकर गया मुझे,
ठहरे इस दिल की धड़कन कंपकंपाने लगी।
इन दीवारों ने भी आज जिक्र छेड़ दिया तेरा,
कमरे में सजी तेरी वो तस्वीर मुझको रूलाने लगी।
– पी एल बामनिया
बामनिया जी की याद पर हिंदी शायरी
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