Author Archives: Kavya Jyoti

  • धधकी कैसी आग वतन में

    धधकी कैसी आग वतन में

    धधकी कैसी आग वतन में मानवता का ज्वाला उठा राजनीति की देख कुटिलता जनमानस चीत्कार उठा मानव मन भर गयी कलुषता सदभाव यहाँ से लुप्त हुआ स्वार्थ से प्रेरित जन सब दिखते परमभि भाव जा सुस्त हुआ सहयोग की जगह असहयोग हुआ समभाव की जगह दुर्भाव है लिप्सा धन की बढ़ गयी इतनी पर प्यार [...] More
  • मातृभूमि कविता

    मातृभूमि के माला के मन के हैं हम

    मातृभूमि के माला के मन के हैं हम स्नेह धागे में सब हैं पिरोए हुए जन्भूमि के उत्कर्ष हमें चाहिए स्वप्न बिंघ कर भी हम हैं सजोये हुए स्नेह धागा अगर जो विखंडित हुआ न जाने ये मनके किधर जायेंगे न धर्म ही रहे औ न जाति ही रहे शुष्क तिनके से सरे बिखर जायेंगे [...] More
  • इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं

    इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं

    इंसान और इंसान के बीच लकीरे खींचा करते हैं, घमंड के बीज को झूठी शान से सींचा करते हैं। मुंह बना कर रखते, बड़ी मुश्किल से हंसा करते हैं, लगता है लोग आजकल ईगो का नशा करते हैं। गिद्ध और बाज तो ऊंचे ठिकानो पर बसा करते हैं, नादान परिंदे ही शिकारी के जाल में [...] More
  • हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा, झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा। समंदर से शांत नजर आ रहे हर इंसान के अंतर्मन की गहराई मे भी इक कोलाहल होगा। अगर पढना आ जाए हमको तो, गीता, कुरान, बाइबिल जैसे ग्रंथो मे हर मसले का हल होगा। मेरे मन की जिज्ञासा की [...] More
  • दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर वो सो रहे हैं हार कर, अपने मकान पर जो लोग अपने आप को कहते थे सूरमां फूले हैं हाथ पाँव हक़ीक़त बयान पर सस्ता है आदमी का कलेजा खरीदिये ताज़ा हैं ख़ून लीजिये मेरी दुकान पर क्यों कल की फ़िक्र करें गवायें ये जान हम जो [...] More
  • बच्चा जवां हुआ है हिंदी ग़ज़ल

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के है देखता उसी को, तेवर बदल-बदल के माँ के कदम के नीचे, रहती है देख जन्नत जाती है हर मुसीबत, उसकी दुआ से टल के अपने लिए न सोचा, उसने बचाया सबको परिवार की चिमनियों, औ भट्टियों में जल के फँस जायेगा कबूतर, फिर जाल में [...] More
  • गुमराह हिंदी शायरी

    दिल को गुमराह कर सकें

    हम तो मुस्कुराते हैं कि दिल को गुमराह कर सकें, बहुत गुमान है इसे कि ये इशारों पे नचा सकता है हम तो पीते हैं कि दिल की गहराइयों को भर सकें, बहुत ज़ालिम है ये जो हमें ही पी जाता है - एकता खान एकता खान जी की शायरी [simple-author-box] अगर आपको यह रचना [...] More
  • नज़र शायरी हिंदी में

    उसकी नज़रें

    उसकी नज़रों ने जब छुआ हज़ार स्पर्शों से ज़्यादा छुआ उसके होठों ने जब इकरार किया हज़ार वादों से ज़्यादा किया - एकता खान नज़र शायरी हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
  • आती रही दुश्वारियाँ हिंदी ग़ज़ल

    आती रही दुश्वारियाँ, सजी रही क्यारियाँ

    आती रही दुश्वारियाँ सजी रही क्यारियाँ वक्त हमें सिखाता रहा करते रहे नादानियाँ अपने हाथ में परवरिश बुलाते रहे बीमारियाँ चौंक गए मुसीबत में की नहीं तैयारियां महक रहा चमन आज वीरों ने दी कुर्बानियां करना था जो किया नहीं झेल रहे परेशानियां दाल में कुछ काला है कर रहा मेहरबानियां याद करते उसे सभी [...] More
Updating
  • No products in the cart.