हम तो मुस्कुराते हैं कि दिल को गुमराह कर सकें, बहुत गुमान है इसे कि ये इशारों पे नचा सकता है हम तो पीते हैं कि दिल की गहराइयों को भर सकें, बहुत ज़ालिम है ये जो हमें ही पी जाता है – एकता खान एकता खान जी की शायरी [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
दिल को गुमराह कर सकें
हम तो मुस्कुराते हैं कि
दिल को गुमराह कर सकें,
बहुत गुमान है इसे कि
ये इशारों पे नचा सकता है
हम तो पीते हैं कि
दिल की गहराइयों को भर सकें,
बहुत ज़ालिम है ये
जो हमें ही पी जाता है
– एकता खान
एकता खान जी की शायरी
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