तन्हा होकर भी मैं तो न तन्हा रहा रात भर दीप जो, साथ जलता रहा होके तुझसे जुदा मैं बिखरता रहा एक तू ही मगर, मुझको जँचता रहा साज के दर्द से, लोग हैं बेख़बर राग बजता रहा, दर्द बढ़ता रहा दे गया वो दग़ा, यार था जो कभी चाल चलता रहा, साथ चलता रहा [...]
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तन्हा होकर भी मैं
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मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ
मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ दिल से सुनिए सुनाई देता हूँ तोड़ लाये हैं आज तारे वो दिल से उनको बधाई देता हूँ जर्रे जर्रे में हूँ समाया हुआ दिल से देखें दिखाई देता हूँ मिलिए हमसे तो एक पल के लिये दिल से ये ही दुहाई देता हूँ झूठे वादे किए थे दिलबर [...] More -
आह इतनी भरा नहीं करते
आह इतनी भरा नहीं करते प्यार को मकबरा नहीं करते ख़्वाब आकर चले गये जो शब फ़िक़्र उनकी ज़रा नहीं करते तोड़ के जो चले गये हैं दिल साथ उनके मरा नहीं करते याद कर के तिरी जफ़ायें अब ज़ख्म दिल का हरा नहीं करते घास पानी नहीं जहाँ पर तो जानवर भी चरा नहीं [...] More -
हम किसी का बुरा नहीं करते
हम किसी का बुरा नहीं करते दुश्मन से भी दग़ा नहीं करते कैसी ख़ुदग़र्जीओं में डूबे हैं फ़र्ज़ अपना अदा नहीं करते वो वफायें सिखा रहे है हमें जो वफायें पढ़ा नहीं करते जिनके दिल में हो नूर का दरिया तारीकी वो ज़रा नहीं करते जिनको चाहा है जान से ज़्यदा मेरे हक़ में दुआ [...] More -
सुबहा चहुँ दिश हँस रही,
सुबहा चहुँ दिश हँस रही, भाग गई सब रात नयनों से जब गया, वो इस दिल की बात उसकी आँखों में पढ़ा मैने जब वो खूवाब मुझको उतारना पड़ा चेहरे से नकाब सपनों ने आकाश में जब जब छिड़का रंग मेरे घर बजने लगा फागुन वाला चंग हँसते हँसते कह रही, देख! बसन्त बहार अब [...] More -
तुम एक गुलाब हो
तुम एक गुलाब हो लेकिन खिलने से डरती हो जानता हूं कांटों के डर से खिलना मुस्कराना नहीं छोड़ा जाता तुम खिलोगी तो महक उठेगी तुम्हारे मन की वादियां गुनगुनाने लगेंगे भंवरे गाने लगेंगे परिंदे मोहब्बत के गीत कहीं दूर से तितलियों का हुजूम आएगा तुम्हारी पेसानी का बोसा लेने तुम खिलो कि शबनम की [...] More -
इंतज़ार न जाने कब से
इंतज़ार न जाने कब से बिना कुछ कहे एक-दूसरे का आकाश का तड़पना धरती के लिए धरती की बेताबी आकाश की ख़ातिर बरसात जल-जले सैलाब फट जाना कई बार बादलों का दोनों का तड़पना मचलना एक-दूसरे के लिये कौन समझ पाया है इन के जज़्बात जो जानते हैं इनका दर्द वो कभी नहीं करते इनके [...] More -
उसका दिखाया सच
उसका दिखाया सच अगर नहीं पसंद तो पर्दा डाल दो उस पे ताकि बार-बार सामना होने पर शर्मिंदा न होना पड़े तुम्हें उसका क्या है वह तो वही दिखाएगा जो सच होगा सामने आएगा जैसा उसके तुम नहीं तो कोई और सही जो अपने सच में झांकेगा वो ही उठाएगा उसका पर्दा | - इरशाद [...] More -
वह बिखर जाता है
वह बिखर जाता है टूटने के बाद भी अपनी सच्चाई के साथ तोड़ने वाले के झूठ को साबित करता हुआ अनगिनत चेहरे दिखाता हुआ | - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More