• तन्हा होकर भी मैं

    तन्हा होकर भी मैं तो न तन्हा रहा रात भर दीप जो, साथ जलता रहा होके तुझसे जुदा मैं बिखरता रहा एक तू ही मगर, मुझको जँचता रहा साज के दर्द से, लोग हैं बेख़बर राग बजता रहा, दर्द बढ़ता रहा दे गया वो दग़ा, यार था जो कभी चाल चलता रहा, साथ चलता रहा [...] More
  • मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ

    मैं जहाँ हूँ दिखाई देता हूँ दिल से सुनिए सुनाई देता हूँ तोड़ लाये हैं आज तारे वो दिल से उनको बधाई देता हूँ जर्रे जर्रे में हूँ समाया हुआ दिल से देखें दिखाई देता हूँ मिलिए हमसे तो एक पल के लिये दिल से ये ही दुहाई देता हूँ झूठे वादे किए थे दिलबर [...] More
  • आह इतनी भरा नहीं करते

    आह इतनी भरा नहीं करते प्यार को मकबरा नहीं करते ख़्वाब आकर चले गये जो शब फ़िक़्र उनकी ज़रा नहीं करते तोड़ के जो चले गये हैं दिल साथ उनके मरा नहीं करते याद कर के तिरी जफ़ायें अब ज़ख्म दिल का हरा नहीं करते घास पानी नहीं जहाँ पर तो जानवर भी चरा नहीं [...] More
  • फ़र्ज़ पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    हम किसी का बुरा नहीं करते

    हम किसी का बुरा नहीं करते दुश्मन से भी दग़ा नहीं करते कैसी ख़ुदग़र्जीओं में डूबे हैं फ़र्ज़ अपना अदा नहीं करते वो वफायें सिखा रहे है हमें जो वफायें पढ़ा नहीं करते जिनके दिल में हो नूर का दरिया तारीकी वो ज़रा नहीं करते जिनको चाहा है जान से ज़्यदा मेरे हक़ में दुआ [...] More
  • गरीब के हौसले पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    आप जैसी जो पाई ना नज़र

    आप जैसी जो पाई ना नज़र फितरते दुनियां आई ना नज़र यूं रहे सब के ग़म में मुबतिला देख कर जो बल खाई ना नज़र राज़ अब जाना क्यूं महफूज हो आप रखते हो आईना नज़र हो गये वैसे जो जैसा मिला सिफ़्त वो अपनी लाई ना नज़र नज़र में जिनकी बेगाने नहीं इस जहां [...] More
  • गुज़र कर क़रीब से

    गुज़र कर क़रीब से यूं हंसे अजीब से पूछ तो लेना था हादसा गरीब से बहुत पछताओगे उतर कर सलीब से है बड़ा दिल वो ही जो मिले रक़ीब से हौसला कभी नहीं हारता नसीब से ज़ोर है तुझमें गर ला मिला हबीब से - इक़बाल हुसैन "इक़बाल" इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल [...] More
  • सेना के जवान पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    हमसफर कोई नहीं हमदम नहीं

    हमसफर कोई नहीं हमदम नहीं गर नहीं तो ना सही कुछ गम नहीं देख लेना दूर से मुड़ कर हमें और सब मिल जाएगें पर हम नहीं आपने तोड़ा हमें अच्छा किया आसरा ये जिन्दगी को कम नहीं दर्द के सागर मिले आठों पहर आँख फिर भी देखिये ये नम नहीं बस भरोसा ज़ात पर [...] More
  • हर तरफ हैं आजकल वर साजिशें

    हर तरफ हैं आजकल वर साजिशें भेद वाली हो रही हैं बारिशें हाल मौसम का बात पाते नहीं सुर्ख फूलों की जगह हैं आतिशें झील मन की अब कहो कैसे भरे बांधने की धार को हैं कोशिशें खेत उपजें और मिले बहती नदी मन में शायद जाऐगी ये ख्वाहिशें जाल बुन लो लाख या पहरे [...] More
  • बुलंद होसलो पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    मौन रहकर काम करता

    मौन रहकर काम करता शोर मैं करता नहीं टूट सकता हूँ यहाँ मैं झुक कभी सकता नहीं हौंसले मेरे बुलन्दी पर खड़े हैं देख ले जब निकल पड़ता हूँ घर से फिर कहीं रुकता नहीं देखना मैं एक दिन सबको हिला दूंगा यहाँ भावना में बात बहकर मैं कभी कहता नहीं ये कटीले रास्ते मैंनें [...] More
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