तुम मेरे हमराह चलना चाहती हो जलना चाहती हो मेरी जिन्दगी की तल्ख़ धूप में कुछ भी तो नहीं मिलेगा सिवाय रुसवाइयों के तुम्हारी यह ज़िद्द तुमको ख़ुद से दूर ले जायेगी रहने दो लौट जाओ अपने घर जिसे सजाया है तुमने अपने एहसास से महकाया है अपनी ख़ुशबू से न जाने कितने ही ख़्वाब [...]
More
-
तुम मेरे हमराह चलना चाहती हो
-
बिना तुम्हारे
बिना तुम्हारे आज का गुज़रना इस उम्मीद के साथ आना होगा कल तुम्हारा आज को कल होने के बीच मेरा होना मुझे याद ही नहीं रहता तुम्हारा इंतजार आज से कल तक एक उम्र गुज़र जाने जैसा है | - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको [...] More -
रह जाता हूं तुम्हारे पास
रह जाता हूं तुम्हारे पास तुम से बिछुड़ने के बाद पूरी तरह कभी नहीं लौट पाया अपने साथ जब भी बिछुड़ा तो हर बार थोड़ा-थोड़ा तुम्हारे पास रह गया हूं मैं सोचता रहा जब फिर मिलूंगा तो ले आऊंगा ख़ुद को तुम्हारे पास से पर हर बार पहले से और ज़्यादा रह ही जाता हूं [...] More -
तुम एक गुलाब हो
तुम एक गुलाब हो लेकिन खिलने से डरती हो जानता हूं कांटों के डर से खिलना मुस्कराना नहीं छोड़ा जाता तुम खिलोगी तो महक उठेगी तुम्हारे मन की वादियां गुनगुनाने लगेंगे भंवरे गाने लगेंगे परिंदे मोहब्बत के गीत कहीं दूर से तितलियों का हुजूम आएगा तुम्हारी पेसानी का बोसा लेने तुम खिलो कि शबनम की [...] More -
इंतज़ार न जाने कब से
इंतज़ार न जाने कब से बिना कुछ कहे एक-दूसरे का आकाश का तड़पना धरती के लिए धरती की बेताबी आकाश की ख़ातिर बरसात जल-जले सैलाब फट जाना कई बार बादलों का दोनों का तड़पना मचलना एक-दूसरे के लिये कौन समझ पाया है इन के जज़्बात जो जानते हैं इनका दर्द वो कभी नहीं करते इनके [...] More -
उसका दिखाया सच
उसका दिखाया सच अगर नहीं पसंद तो पर्दा डाल दो उस पे ताकि बार-बार सामना होने पर शर्मिंदा न होना पड़े तुम्हें उसका क्या है वह तो वही दिखाएगा जो सच होगा सामने आएगा जैसा उसके तुम नहीं तो कोई और सही जो अपने सच में झांकेगा वो ही उठाएगा उसका पर्दा | - इरशाद [...] More -
वह बिखर जाता है
वह बिखर जाता है टूटने के बाद भी अपनी सच्चाई के साथ तोड़ने वाले के झूठ को साबित करता हुआ अनगिनत चेहरे दिखाता हुआ | - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
तुम भी तो
तुम भी तो अधूरे हो मेरे बिना तो फिर क़बूल क्यूं नहीं करते यह सच मेरी तरह मैं...तो... कुछ भी नहीं हूं तुम्हारे बग़ैर और तुम? - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
जो दिखाई देता हूं
जो दिखाई देता हूं वो नहीं हूं मैं और ना ही वो हूं जो तुम देखते हो तुम्हारे देखने मेरे नज़र आने के बीच जो अब तक नहीं देखा गया ना ही सुना गया हां... मैं वही हूं और तुम... - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर [...] More