तुम मेरे हमराह चलना चाहती हो
जलना चाहती हो
मेरी जिन्दगी की तल्ख़ धूप में
कुछ भी तो नहीं मिलेगा सिवाय रुसवाइयों के
तुम्हारी यह ज़िद्द तुमको ख़ुद से दूर ले जायेगी
रहने दो लौट जाओ अपने घर
जिसे सजाया है तुमने अपने एहसास से
महकाया है अपनी ख़ुशबू से
न जाने कितने ही ख़्वाब दम तोड़ देंगे तुम्हारे बिना
मेरी तरह तुम भी इंतजार करो
पुनर्जन्म का
उन ख्वाबों का
जो हमने देखे इस जन्म में
यह वही राह है
लौट जाओ फिर लौट आने के लिए |
तुम मेरे हमराह चलना चाहती हो
तुम मेरे हमराह चलना चाहती हो
जलना चाहती हो
मेरी जिन्दगी की तल्ख़ धूप में
कुछ भी तो नहीं मिलेगा सिवाय रुसवाइयों के
तुम्हारी यह ज़िद्द तुमको ख़ुद से दूर ले जायेगी
रहने दो लौट जाओ अपने घर
जिसे सजाया है तुमने अपने एहसास से
महकाया है अपनी ख़ुशबू से
न जाने कितने ही ख़्वाब दम तोड़ देंगे तुम्हारे बिना
मेरी तरह तुम भी इंतजार करो
पुनर्जन्म का
उन ख्वाबों का
जो हमने देखे इस जन्म में
यह वही राह है
लौट जाओ फिर लौट आने के लिए |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
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