रह जाता हूं तुम्हारे पास
तुम से बिछुड़ने के बाद
पूरी तरह कभी नहीं लौट पाया
अपने साथ
जब भी बिछुड़ा तो
हर बार थोड़ा-थोड़ा
तुम्हारे पास रह गया हूं मैं
सोचता रहा
जब फिर मिलूंगा तो
ले आऊंगा ख़ुद को
तुम्हारे पास से
पर हर बार
पहले से और ज़्यादा
रह ही जाता हूं तुम्हारे पास |
रह जाता हूं तुम्हारे पास
रह जाता हूं तुम्हारे पास
तुम से बिछुड़ने के बाद
पूरी तरह कभी नहीं लौट पाया
अपने साथ
जब भी बिछुड़ा तो
हर बार थोड़ा-थोड़ा
तुम्हारे पास रह गया हूं मैं
सोचता रहा
जब फिर मिलूंगा तो
ले आऊंगा ख़ुद को
तुम्हारे पास से
पर हर बार
पहले से और ज़्यादा
रह ही जाता हूं तुम्हारे पास |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ
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