
डॉ. रजनी अग्रवाल
डॉ. रजनी अग्रवाल जी वाराणसी के आर्यन विद्यालय में हिन्दी की सह-प्रधानाचार्या हैं और हिन्दुस्तान की प्रसिद्ध, सक्रिय एवं समर्पित लेखिका और कवयित्री हैं। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और कई समाचार पत्रिकाओं में उनके लेख छपते रहते हैं।
‘पिघलता आसमान’ उनकी हाइकू की प्रकाशित पुस्तक है। उनकी रचनाओं में गहरे भाव एवं ज़माने के दर्द समाहित हैं और उनकी लेखनी में प्राकृतिक, सामाजिक, पारिवारिक विघटन झलकता है जो पाठकों को सोचने पर और उनकी रचनाओ को बार बार पढ़ने पर मजबूर करता हैl
डॉ. रजनी अग्रवाल जी के लिए डॉ. नसीमा निशा जी के कुछ शब्द –
वाराणसी की डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’ गीत, मुक्तक, हाइकु, ग़ज़ल या यों कहिये कि साहित्य की हर विधा को बेहतरीन तरीके से लिखने की सलाहियत रखती हैं । उनकी रचनाएँ भाव, शिल्प, व्याकरण आदि की दृष्टि से आलातरीन होती हैं। कम शब्दों में बेहतरीन ख़्याल कहना आपकी ख़ासियत है ,आपकी रचनाओं में अनेक रंग व समाज का व्यापक स्वरूप देखने को मिलता है।
अदब की दुनिया में डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’ जी का नाम बड़े अदब से लिया जाता है।आप एक चमकदार सितारे की तरह हैं और कई पत्रिकाओं का संपादन का कार्य बड़ी कुशलता से कर रही हैं। नवांकुरों (नये रचनाकारों ) की रचनाओं की इस्लाह भी करती हैं।
आज के दौर में आप कई साहित्यिक समूहों में नियमित इस्लाह का काम बड़ी कुशलता से कर रही हैं। हाइकु विधा पर आपके एकल हाइकु संग्रह ‘पिघलता आसमाँ ‘ ने धूम मचा रखी है। कई पुस्तकें आगामी प्रकाशनार्थ हैं।
आप वरिष्ठ रचनाकार हैं और आपका लम्बा अदबी सफ़र है। आप की रचनाएँ पढ़कर मैं भी बहुत कुछ सीख रही हूँ। आप पर यथा नाम तथा गुण की कहावत सही चरितार्थ होती है। मैं आपको दिल से बहुत मानती हूँ। अंत में इतना ही कहना चाहूँगी कि आप गागर में सागर जैसे हैं।


आप काशी की आन बान शान हैं
अपनी रखतीं अलग एक पहचान हैं