
वाराणसी के शम्भू नाथ पान्डे जी ख्याति प्राप्त वरिष्ठ कवि हैं जिनकी कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक एवं प्रेरक दृष्टिकोण देखने को मिलता है। वे बहुत ही नेक दिल इंसान हैं और हिंदी साहित्य में उनका योगदान सराहनीय है।
रचनाकार शम्भु नाथ पाण्डेय जी ‘शम्भु’ नाम से अपनी रचनायें करते हैं। इनका जन्म बिहार के कैमूर जिले के सोनटिहरा नामक ग्राम में स्व. राम सखी पाण्डेय और स्व. पुनभी देवी के कुल में हुआ। आपके पिता जी कुशल कृषक तथा माता जी एक कुशल गृहणी थी। माता जी एक धर्मपरायण विदुषी महिला थीं, जिनकी देख रेख में पलने के कारण बालक शम्भु नाथ पर भी धर्म, दयालुता, कर्तव्यनिष्ठा एवं सचरित्रता का गहरा प्रभाव पड़ा।
आपकी शिक्षा केवल माध्यमिक (विज्ञान) वर्ग से ही हुई। आपकी नियुक्ति प्रारम्भिक स्तर पर विद्युत विभाग उत्तर प्रदेश में लिपिक के पद पर हुई और क्रमशः अपनी कुशाग्र प्रतिभा और अध्ययन के बल पर अभियंता (विद्युत) के पद पर कार्य करते हुए 27.2.2000 को सेवा निवृत्त हो गये।
सन 2008 में भोजपुरी के अश्लील गीतों ने इनके ह्रदयस्थ प्रतिभा को एक बार फिर झकझोर दिया और भोजपुरी गीतों में स्वरस्थ परम्परा ले लिए मन मचल उठा। इन्होंने लगभग 250 भोजपुरी देवी गीतों की रचना की जो केवल स्वांतः सुखान ही बनी रहीं। भोजपुरी के देवी गीतों में ‘रूपया मनवा मोहेला’ के शब्द श्रद्धारिक हो सकते हैं भलीपूर्ण नहीं और इस विचार के साथ ही इन्होंने रचना (देवी गीत) प्रारम्भ की। इनके इसी सोच ने इन्हे लेखन की ओर प्रोत्साहित किया जो अब सामान्य रूप से भोजपुरी और खड़ी बोली मे लेखन का आधार बना।
सम्मान:
- दिनांक १४-८-१३ को जन कल्याण परिषद् उत्तर प्रदेश द्वारा ‘हिन्दी साहित्य सम्मान’
- दिनांक २१-२-१६ को भोजपुरी संघ की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा ‘मातृभाषा सम्मान’
- दिनांक ३-४-१६ को राष्ट्रीय कवि संगम, नई दिल्ली द्वारा सम्मान
- दिनांक १७-२-१६ को पूर्वांचल जनर्लिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन
- पूर्वांचल पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा सम्मिलित रूप से काव्य श्री से सम्मानित
सम्प्रति: आप भोजपुरी और खड़ी बोली दोनों में ही रचनायें करते हैं। भोजपुरी के देवी गीत और खड़ी बोली में उनकी भावनायें राष्ट्रीय समस्याओं को परिलक्षित करती हैं।