सुख-समृद्धी की कामना लिए
जलाओ तुम माटी के नन्हे दीए।
देवी को सज-धज कर, पूजा करे
वो देश नारी उत्पीड़ित क्यूँ रहे।
नव-दिन खूब भक्ति-भाव रख
पूरी श्रद्धा से व्रत-उपवास रखे।
देवी को प्रसन्न करने, सारे जतन करे,
उस देश में नारी क्यूँ, यातना सहे।
घर-घर होती घट-स्थापना ,
पूजा-अर्चना, आरती खूब होती।
लगते भोग-व्यंजन भिन्न-भिन्न,
बड़े-बड़े भंडारे भी खूब होते।
उस देश में नारी का परित्याग क्यूँ होता,
नव-दिन देवी के नवरूप पूजे जाते।
नव कन्याओं को देवी-रूप मे पूजे जाते,
भेंट-दक्षिणा व उपहारों से नवाज़ा जाता।
उस देश मे कन्या को क्यूँ बोझ माना जाता,
देवी के नव रूपों की पूजा होती।
सुख-समृद्धि बनी रहे, प्रार्थना होती,
आए न कोई संकट निज जीवन में।
यही नित्य देवी से मंगल कामना होती,
उस देश में नारी-जाति पर अमंगल होता।
आओ मिल कर देवी पूजन करे
नव-दिन नहीं हर रोज करे।
नारी की मुस्कान से आलोकित हो
यह देश नारी-उत्पीड़न से मुक्त हो।
सुख-समृद्धी की कामना लिए
सुख-समृद्धी की कामना लिए
जलाओ तुम माटी के नन्हे दीए।
देवी को सज-धज कर, पूजा करे
वो देश नारी उत्पीड़ित क्यूँ रहे।
नव-दिन खूब भक्ति-भाव रख
पूरी श्रद्धा से व्रत-उपवास रखे।
देवी को प्रसन्न करने, सारे जतन करे,
उस देश में नारी क्यूँ, यातना सहे।
घर-घर होती घट-स्थापना ,
पूजा-अर्चना, आरती खूब होती।
लगते भोग-व्यंजन भिन्न-भिन्न,
बड़े-बड़े भंडारे भी खूब होते।
उस देश में नारी का परित्याग क्यूँ होता,
नव-दिन देवी के नवरूप पूजे जाते।
नव कन्याओं को देवी-रूप मे पूजे जाते,
भेंट-दक्षिणा व उपहारों से नवाज़ा जाता।
उस देश मे कन्या को क्यूँ बोझ माना जाता,
देवी के नव रूपों की पूजा होती।
सुख-समृद्धि बनी रहे, प्रार्थना होती,
आए न कोई संकट निज जीवन में।
यही नित्य देवी से मंगल कामना होती,
उस देश में नारी-जाति पर अमंगल होता।
आओ मिल कर देवी पूजन करे
नव-दिन नहीं हर रोज करे।
नारी की मुस्कान से आलोकित हो
यह देश नारी-उत्पीड़न से मुक्त हो।
– हेमलता पालीवाल ‘हेमा’
हेमलता जी की नारी शोषण पर कविता
हेमलता पालीवाल 'हेमा' जी की रचनाएँ
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