कम तौले जो आदमी, जावे अस्पा ताल । रिशवत ख़ोरी की सज़ा, देता उसको काल । – इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रिशवतख़ोरी पर कविता इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
कम तौले जो आदमी
कम तौले जो आदमी, जावे अस्पा ताल ।
रिशवत ख़ोरी की सज़ा, देता उसको काल ।
– इक़बाल हुसैन इक़बाल
इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी की रिशवतख़ोरी पर कविता
इक़बाल हुसैन 'इक़बाल' जी रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें