घर सभी दुकान हो गये लोग बेमकान हो गये जो किये थे उन पर कभी ग़ारत अहसान हो गये वो दिये हमने इम्तहां लोग परेशान हो गये वक़्त ने किया वो मज़ाक खुद से अंजान हो गये महंगाई हद से बढ़ गई आफत मेहमान हो गये एक झोंका ही बस चला ढेर सब मचान हो गये देखिये जनाब आज वो क्या खुदा कि शान हो गये जान दे के “इक़बाल” तुम महफिलों कि जान हो गये – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
घर सभी दुकान हो गये
घर सभी दुकान हो गये
लोग बेमकान हो गये
जो किये थे उन पर कभी
ग़ारत अहसान हो गये
वो दिये हमने इम्तहां
लोग परेशान हो गये
वक़्त ने किया वो मज़ाक
खुद से अंजान हो गये
महंगाई हद से बढ़ गई
आफत मेहमान हो गये
एक झोंका ही बस चला
ढेर सब मचान हो गये
देखिये जनाब आज वो
क्या खुदा कि शान हो गये
जान दे के “इक़बाल” तुम
महफिलों कि जान हो गये
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
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