गोरी तेरा मुखडा चाँद सा रे देख के धडके मोरा जिया रे। माथे पर बिंदियाँ ऐसे चमके दामिनि गिरि हो जैसे लगे। रूप तेरा निखारे यह कजरा नैनो का श्रृंगार तेरा दमके। कानो के तेरे लटके झुमके नागिन से लटके -झटके। गले मे पहना मोतियन का हार धीरे-धीरे इधर उधर सरके। जब से पहनी पैरो की पायल चाल मतवाली करती घायल। हाथो मे खनकते तेरे यह कँगना होले-होले उड रहा तेरा आँचल। रूप तेरा जैसे पूरन मासी चाँद है नील गगन का वासी। अपने रूप की फैलाकर चाँदनी प्रेम-अमृत की हो जैसे प्यासी। – हेमलता पालीवाल “हेमा” उदयपुरी हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
गोरी तेरा मुखडा
गोरी तेरा मुखडा चाँद सा रे
देख के धडके मोरा जिया रे।
माथे पर बिंदियाँ ऐसे चमके
दामिनि गिरि हो जैसे लगे।
रूप तेरा निखारे यह कजरा
नैनो का श्रृंगार तेरा दमके।
कानो के तेरे लटके झुमके
नागिन से लटके -झटके।
गले मे पहना मोतियन का हार
धीरे-धीरे इधर उधर सरके।
जब से पहनी पैरो की पायल
चाल मतवाली करती घायल।
हाथो मे खनकते तेरे यह कँगना
होले-होले उड रहा तेरा आँचल।
रूप तेरा जैसे पूरन मासी
चाँद है नील गगन का वासी।
अपने रूप की फैलाकर चाँदनी
प्रेम-अमृत की हो जैसे प्यासी।
– हेमलता पालीवाल “हेमा” उदयपुरी
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें