हम अपने दिल का राज बताये किसे किसे
दामन में लगा दाग दिखाये किसे किसे
लहरों से खेलता रहा दरिया का दर्दे दिल
टूटी है कश्ती और बिठाये किसे किसे
खामोश किनारों से न पूछो लगी दिल की
आगोश भर न पाये बताये किसे किसे
जज्वात की तौहीन पर हंसता है जमाना
दर्दे जिगर दिखा के रुलाये किसे किसे
हर रात की सियाही में हैं गम के नजारे
अफसानये हयात सुनाये किसे किसे
जिसको दिखाया उसने उड़ाई मेरी हंसी
अब और चोट दिल की दिखाये किसे किसे
तसवीर अपनी देखकर पहचानता नहीं
कितनी बदल गयी है बताये किसे किसे
हम अपने दिल का राज
हम अपने दिल का राज बताये किसे किसे
दामन में लगा दाग दिखाये किसे किसे
लहरों से खेलता रहा दरिया का दर्दे दिल
टूटी है कश्ती और बिठाये किसे किसे
खामोश किनारों से न पूछो लगी दिल की
आगोश भर न पाये बताये किसे किसे
जज्वात की तौहीन पर हंसता है जमाना
दर्दे जिगर दिखा के रुलाये किसे किसे
हर रात की सियाही में हैं गम के नजारे
अफसानये हयात सुनाये किसे किसे
जिसको दिखाया उसने उड़ाई मेरी हंसी
अब और चोट दिल की दिखाये किसे किसे
तसवीर अपनी देखकर पहचानता नहीं
कितनी बदल गयी है बताये किसे किसे
– देवेन्द्र कुमार सिंह ‘दददा’
देवेंद्र कुमार सिंह दद्दा जी की कविता
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