तूने बचपन जो छीना मैं रोया नही बेवजह मुस्कुराऊँ, ये होता नही खो गया नूर चेहरे का मेरे कहीं तेरा दिल जीत पाऊँ, ये होता नही ज़िन्दा रखा है बचपन को इस उम्र में तेरी चाहत बनू अब ये होता नही तुझको अपना समझते रहे उम्रभर बिन तेरे दिल में कोई भी होता नही होशियारी भले मेरा दिलबर करे सौदेबाज़ी करूँ मैं ये होता नही ठोकरें खा के ज़िन्दा है दुनियाँ में ‘शाद’ बचपने को मगर फिर भी खोया नही – शाद उदयपुरी ‘शाद’ जी की नई रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें – दर्द भरी शायरी हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
तूने बचपन जो छीना मैं रोया नही
तूने बचपन जो छीना मैं रोया नही
बेवजह मुस्कुराऊँ, ये होता नही
खो गया नूर चेहरे का मेरे कहीं
तेरा दिल जीत पाऊँ, ये होता नही
ज़िन्दा रखा है बचपन को इस उम्र में
तेरी चाहत बनू अब ये होता नही
तुझको अपना समझते रहे उम्रभर
बिन तेरे दिल में कोई भी होता नही
होशियारी भले मेरा दिलबर करे
सौदेबाज़ी करूँ मैं ये होता नही
ठोकरें खा के ज़िन्दा है दुनियाँ में ‘शाद’
बचपने को मगर फिर भी खोया नही
– शाद उदयपुरी
‘शाद’ जी की नई रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें –
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