आज महफिल में गुलशन, खिला देंगे हम, फिर धरती पर सुमन, बिछा देंगे हम, अगर राहे मंजिल, मिले आपका, बूंद शबनम हकिकत, वरषा देंगे हम, मौसम सुहाना सुअवसर मिले जो, जमीं क्या गगन को, झुका देंगे हम, हौंसला है, बलन्दी है, चाहत मगर, सच ईंटों से ईंट, बजा देंगे हम, – डा विनोद कैमूरी डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की सुहाने मौसम पर कविता डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आज महफिल में गुलशन
आज महफिल में गुलशन, खिला देंगे हम,
फिर धरती पर सुमन,
बिछा देंगे हम,
अगर राहे मंजिल,
मिले आपका,
बूंद शबनम हकिकत,
वरषा देंगे हम,
मौसम सुहाना सुअवसर
मिले जो,
जमीं क्या गगन को,
झुका देंगे हम,
हौंसला है, बलन्दी है,
चाहत मगर,
सच ईंटों से ईंट,
बजा देंगे हम,
– डा विनोद कैमूरी
डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की सुहाने मौसम पर कविता
डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की रचनाएँ
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