जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । सज्जन हो जाना इस जग में साधारण सा काम नहीं जिसने यह व्रत अपनाया वह परहित ही जीता मरता ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || – अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जला जलाकर हृदय वर्तिका
जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता ।
मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता ।
सज्जन हो जाना इस जग में साधारण सा काम नहीं
जिसने यह व्रत अपनाया वह परहित ही जीता मरता ।।
हर दिल की आवाज बनेगी |
अवध लेखनी राज करेगी ||
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
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