नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा, सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा। कभी सफलता को पाकर मदहोश नहीं होना यारों, लाख ढँके बादल फिर भी सूरज दिन लेकर आएगा। आज नहीं तो कल मुझको मेरी मंजिल मिल जाएगी, किन्तु राह में बहुतों चेहरों से नकाब उठ जाएगा। आपस के तू तू मैं मैं से दूरी और बढ़ेगी ही, घर के भेदी को पाकर के दुश्मन लाभ उठाएगा। चिनगारी अनुकूल हवा पाकर ज्वाला बन जाएगी, कच्ची कली समझकर उसको कब तक नाच नचाएगा। किसकी खिचड़ी कहाँ पक रही किसकी अभी अधूरी है, ऐसे अनसुलझे सवाल का अवध सही हल पाएगा। मंजिल थोड़ा और सब्र कर होगा मिलन हमारा भी, पहले अपना फ़र्ज निभाकर जीवन सफल बनाएगा। – डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जीवन सफल बनाएगा
नारी का मुश्किल जीवन नर का सामर्थ्य बढ़ाएगा,
सहनशक्ति की सबल मूर्ति से कौन भला टकराएगा।
कभी सफलता को पाकर मदहोश नहीं होना यारों,
लाख ढँके बादल फिर भी सूरज दिन लेकर आएगा।
आज नहीं तो कल मुझको मेरी मंजिल मिल जाएगी,
किन्तु राह में बहुतों चेहरों से नकाब उठ जाएगा।
आपस के तू तू मैं मैं से दूरी और बढ़ेगी ही,
घर के भेदी को पाकर के दुश्मन लाभ उठाएगा।
चिनगारी अनुकूल हवा पाकर ज्वाला बन जाएगी,
कच्ची कली समझकर उसको कब तक नाच नचाएगा।
किसकी खिचड़ी कहाँ पक रही किसकी अभी अधूरी है,
ऐसे अनसुलझे सवाल का अवध सही हल पाएगा।
मंजिल थोड़ा और सब्र कर होगा मिलन हमारा भी,
पहले अपना फ़र्ज निभाकर जीवन सफल बनाएगा।
– डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें