अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है।
मातृशक्ति पार्वती महेश को प्रणाम है।।
ज्ञान बुध्दि दायिनी सरस्वती प्रणाम है।
मौन तीर्थधाम तापसी व्रती प्रणाम है।।
पीठ के महानुभाव संत को प्रणाम है।
शारदे विवेकशील कंत को प्रणाम है।।
कालिदास कीर्तिमान लेखनी प्रणाम है।
सिद्धपीठ न्याय दीप रोशनी प्रणाम है।।
राष्ट्र के भविष्य और भूत को प्रणाम है।
मंच पे विराज मातृदूत को प्रणाम है।।
सज्जनों सुलेखकों सुपाठकों प्रणाम है।
‘औध’ का विनम्र ‘क्षिप्र’मातु को प्रणाम है।।
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है
अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है।
मातृशक्ति पार्वती महेश को प्रणाम है।।
ज्ञान बुध्दि दायिनी सरस्वती प्रणाम है।
मौन तीर्थधाम तापसी व्रती प्रणाम है।।
पीठ के महानुभाव संत को प्रणाम है।
शारदे विवेकशील कंत को प्रणाम है।।
कालिदास कीर्तिमान लेखनी प्रणाम है।
सिद्धपीठ न्याय दीप रोशनी प्रणाम है।।
राष्ट्र के भविष्य और भूत को प्रणाम है।
मंच पे विराज मातृदूत को प्रणाम है।।
सज्जनों सुलेखकों सुपाठकों प्रणाम है।
‘औध’ का विनम्र ‘क्षिप्र’मातु को प्रणाम है।।
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें