क्या करें शिकवा उस दिवाने से मान जाता है वो मनाने से वो किसी का भी हो नहीं सकता जानती हूँ उसे ज़माने से दर्दे दिल देके हंसता रहता है उसको मतलब है बस रुलाने से यों तो पतझर है मेरी दुनिया में रौनके आती उसके आने से उसकी फ़ितरत मे बेवफ़ाई है फ़ायदा क्या है दिल जलाने से दिल में रहता है वो, निशा, हरदम कहाँ आता है वो बुलाने से –डॉ. नसीमा ‘निशा’ डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
क्या करें शिकवा उस दिवाने से
क्या करें शिकवा उस दिवाने से
मान जाता है वो मनाने से
वो किसी का भी हो नहीं सकता
जानती हूँ उसे ज़माने से
दर्दे दिल देके हंसता रहता है
उसको मतलब है बस रुलाने से
यों तो पतझर है मेरी दुनिया में
रौनके आती उसके आने से
उसकी फ़ितरत मे बेवफ़ाई है
फ़ायदा क्या है दिल जलाने से
दिल में रहता है वो, निशा, हरदम
कहाँ आता है वो बुलाने से
–डॉ. नसीमा ‘निशा’
डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल
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