एक इशारा कर गया आने का वो आज इन्तज़ार का बज रहा तब से हिय में साज देख ! गुड़िया सुला रही गुड्डे को दे थाप बचपन घर में हँस रहा, नाच रहे माँ-बाप फूलों की खुशबू हँसी मुर्गो ने दी बाँग सूरज किरणों से भरे देख ! धरा की माँग भरने हैं तुझको अगर घायल हिय के घाव केवट बन जा तू सनम ! चला राम की नाव बन्द पड़ा जो दावर है पहले खोल वो दावर सीख नदी में तैरना फिर कर नदिया पार सूरज की किरणें हँसी कागा बोला काँव कोयल कूकी डाल पर जागा सारा गाँव उसके क्यों होने लगी नयनों से बरसात उसको जब मैनें कही अपने हिय की बात – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की दोहा जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
एक इशारा कर गया
एक इशारा कर गया आने का वो आज
इन्तज़ार का बज रहा तब से हिय में साज
देख ! गुड़िया सुला रही गुड्डे को दे थाप
बचपन घर में हँस रहा, नाच रहे माँ-बाप
फूलों की खुशबू हँसी मुर्गो ने दी बाँग
सूरज किरणों से भरे देख ! धरा की माँग
भरने हैं तुझको अगर घायल हिय के घाव
केवट बन जा तू सनम ! चला राम की नाव
बन्द पड़ा जो दावर है पहले खोल वो दावर
सीख नदी में तैरना फिर कर नदिया पार
सूरज की किरणें हँसी कागा बोला काँव
कोयल कूकी डाल पर जागा सारा गाँव
उसके क्यों होने लगी नयनों से बरसात
उसको जब मैनें कही अपने हिय की बात
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की दोहा
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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